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उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण में अंतर लिखिए| Difference between concave mirror and convex mirror in Hindi
Uttal Darpan aur Avtal Darpan me Antar | उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण में अंतर देखें|अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण के उपयोग | उत्तल दर्पण व अवतल दर्पण की परिभाषा और प्रकृति |अवतल और उत्तल दर्पण में अंतर( difference between concave and convex mirror in hindi) | उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण दोनों में क्या अंतर है?
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में क्या अंतर है यह परीक्षा के दृष्टिकोण से काफी अहम टॉपिक है. अक्सर परीक्षा तथा परीक्षक द्वारा उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण की परिभाषा व दोनों दर्पणों में अंतर पूछ लिया जाता है. साथ ही परीक्षावों में अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण का उपयोग क्या है और कहाँ होता है.
आज के इस लेख में हम उत्तल दर्पण तथा अवतल में अंतर, परिभाषा, उपयोग तथा उदाहरण को विस्तार में जानेंगे. साथ ही इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है.
उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण दोनों में क्या अंतर है यह जानने से पहले हम दोनों गोलीय दर्पणों की सर्वप्रथम परिभाषा जान लेते है.
अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण की परिभाषा क्या है? Definition of concave mirror and convex mirror in Hindi?
अवतल दर्पण किसे कहते हैं? (concave mirror/कॉनकेव मिरर)
Concave Mirror in hindi:- अवतल दर्पण एक प्रकार का गोलीय दर्पण है जिसमे कि परावर्तन करने वाला चिकना व चमकीला भाग अंदर या भीतर की तरफ धंसा हुआ होता है, अवतल दर्पण कहलाता है. अवतल दर्पण में अंदर की तरफ धंसा हुआ चमकीला सतह प्रकाश के परावर्तन के नियम का अनुपालन करता है. अवतल दर्पण मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणों को परावर्तन के बाद अंदर की ओर प्रतिबिम्बित कर देता है.
अवतल दर्पण के उदाहरण:-
अवतल दर्पण के उदाहरण इस प्रकार है- टॉर्च लाइट, गाड़ियों की हेडलाइट्स, दूरबीन, सर्च लाइट, सोलर कुकर इत्यादि.
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उत्तल दर्पण किसे कहते हैं? (convex mirror/कान्वेक्स मिरर)
Convex Mirror in Hindi:- उत्तल दर्पण वैसा गोलीय दर्पण है जिसमे कि परावर्तन करने वाला चिकना व चमकीला भाग (सतह) बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है. उत्तल दर्पण में अंदर की तरफ धंसे हुए भाग पर कलई लगा हुआ होता है. उत्तल दर्पण मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणों को परावर्तन के बाद बाहर की ओर प्रतिबिम्बित या विचलित कर देता है.
उत्तल दर्पण के उदाहरण:-
उत्तल दर्पण के उदाहरण निम्नलिखित है- स्ट्रीट लाइट, गाड़ियों में लगने वाला पीछे के वाहनों को देखने के लिए साइड मिरर, कालिंग बेल
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अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण के उपयोग Uses of concave mirror and convex mirror in Hindi
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण का उपयोग हम अपने दैनिक दिनचर्या में प्रयोग करते रहते है. तो चलिए जानते है कि उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण का उपयोग हम कहाँ-कहाँ करते है.
उत्तल दर्पण का उपयोग (Use of convex mirror)
कॉन्वेक्स मिरर के उपयोग निम्नलिखित है –
1. उत्तल दर्पण की मदद से सड़क पर पीछे की ओर से आने वाले गाड़ियों की स्थिति का पता लगा सकते है. इसीलिए गाड़ियों में साइड रियर मिरर लगाया जाता है.
2. धुप के चश्मे में बाहर की सतह पर उत्तल दर्पण का प्रयोग होता ताकि सूर्य की हानिकारक किरण को बाहर प्रतिबिंबित कर सके.
3. दो उत्तल दर्पण को परस्पर संयोजित कर आवर्धक लेंस (Magnifying glass) बनाया जाता है.
अवतल दर्पण का उपयोग (Use of concave mirror)
अवतल दर्पण अथवा कॉनकेव मिरर के उपयोग निम्लिखित है-
1. इसका उपयोग ढाढ़ी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है.
2. दांत, कान, नाक में होने वाले घावों को देखने हेतु अवतल दर्पण का उपयोग डाक्टर द्वारा किया जाता है.
3. टॉर्च लाइट तथा गाड़ियों के हेडलाइट्स में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है.
4. सोलर कुकर में खाना को पकाने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है.
5. दूरबीन तथा सर्च लाइट में इसका प्रयोग होता है.
उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण में अंतर देखें क्या है Difference between Convex Mirror and Concave Mirror in hindi
Uttal Darpan aur Avtal Darpan me Antar | अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण में अंतर बताईये |
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अवतल दर्पण (Concave Mirror) | उत्तल दर्पण (Convex Mirror) |
1. अवतल दर्पण में चमकीला या परावर्तक सतह अंदर की ओर धंसा हुआ होता है. | 1. उत्तल दर्पण में चमकीला या परावर्तक सतह बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है. |
2. अवतल दर्पण में बाहर उभरी भाग पर कलई या लेप लगा हुआ होता है. | 2. उत्तल दर्पण में अंदर धंसे हुए भाग पर कलई या लेप लगा हुआ होता है. |
3. अवतल दर्पण प्रकाश की किरणों को अंदर की तरफ प्रतिबिम्बित करता है. | 3. उत्तल दर्पण प्रकाश की किरणों को बाहर की तरफ प्रतिबिम्बित करता है. |
4. अवतल दर्पण से बने हुए प्रतिबिम्ब अपने मूल वस्तु के आकार से बड़ा बनता है. | 4. जबकि उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब मूल वस्तु के आकर से छोटा बनता है. |
5. अवतल दर्पण प्रकाश के किरणों को परावर्तन के बाद एकत्रित करती है. | 5. जबकि उत्तल दर्पण में प्रकाश की किरणे परावर्तन के बाद फ़ैल जाती है. |
6. अवतल दर्पण की प्रकृति अभिसारी होती है. | 6. उत्तल दर्पण की प्रकृति अपसारी होती है. |
7. अवतल दर्पण से बने प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा और दर्पण के पीछे बनते है. | 7. इसमे उत्तल दर्पण से बने प्रतिबिम्ब सीधा एवं आभासी बनते है. |
8. अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब या छवि, वस्तु से छोटा, वस्तु के बराबर या वस्तु से बड़ा बनता है. | 8. उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब हमेशा वस्तु से छोटा बनता है. |
9. अनंत से ध्रुव की तरफ आने पर मूल वस्तु का अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब या छवि बड़ा बनते जाता है. | 9. उत्तल दर्पण में वस्तु को दर्पण से दूर ले जाने पर प्रतिबिम्ब छोटा होता जाता है. |
10. अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है. | 10. उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है. |
11. इसका उपयोग गाड़ियों के हेडलाइट्स, सोलर कुकर, टॉर्च इत्यादि में होता है. | 11. उत्तल दर्पण का प्रयोग गाड़ियों में पीछे से आ रहे वाहनों को देखने के लिए प्रयोग किया जाता है. |
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उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण से सम्बंधित प्रश्नोत्तर (FAQ)
ऐसे चिकनी व चमकीली सतह जो नियमित रूप से प्रकाश का परावर्तन करे दर्पण कहलाता है. दर्पण सदैव प्रकाश के परावर्तन नियम का अनुपालन करती है.
अभिसारी दर्पण अवतल दर्पण को कहा जाता है. अभिसारी का अर्थ होता है संकुचित करना. अर्थात अवतल दर्पण में मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणों को एक जगह पर संकुचित कर देता है इसलिए अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहते है.
उत्तल दर्पण ही अपसारी दर्पण होता है. अपसारी का अर्थ होता है फैला देना. अर्थात अपसारी दर्पण में मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणों को बाहर कि तरफ फैला देता है.
गोलीय दर्पण जैसे उत्तल और अवतल दर्पण की पहचान छूकर तथा इनके द्वारा बनाये गए प्रतिबिम्ब अथवा छवि को पह्छां कर कर सकते है.
चम्मच का उभरा हुआ भाग एक उत्तल दर्पण की तरह कार्य करता है जबकि अंदर की तरफ धंसा हुआ भाग एक अवतल दर्पण की तरह कार्य करता है.
अंत में (उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर लिखिए )
मुझे आशा है कि उत्तल और अवतल दर्पण से सम्बंधित ऊपर दी गयी कुछ जरुरी परिभाषाये आपके लिए मददगार साबित होगा. Uttal Darpan aur Avtal Darpan me Antar, दर्पण की प्रकृति, उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण का उपयोग आपको समझ में आ गया होगा. फिर इस टॉपिक से सम्बंधित आपके मन में कोई भी सवाल आता है तो कमेंट बॉक्स में जरुर पूछे.
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