रुधिर और लसिका में अंतर लिखिए । Difference between Blood and Lymph in Hindi

Rudhir aur Lasika me antar (रक्त और लसिका में अंतर लिखिए):- कक्षा 10 के विद्यार्थियों के बोर्ड परिक्षावों में अक्सर रुधिर औ लसिका के बीच अंतर पूछ लिया जाता है। यदि विद्यार्थी गण रुधिर और लसिका का परिभाषा जानते हैं अथवा रक्त वाहिनियों एवं लसिका तंत्रिका से सम्बंधित बेसिक जानकारियां पता है तो लसिका और रुधिर के बीच अंतर लिखने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

दोस्तों, आज के इस लेख में सर्वप्रथम रुधिर एवं लसिका का परिभाषा और मूल बातों को साझा किया गया है। उसके बाद रुधिर एवं लसिका के बीच अंतर को बताया गया है। अतः विद्यार्थिगण दोनों में अंतर को लिखने से पूर्व रुधिर (रक्त या खून) एवं लसिका को पूर्ण रूप से जाने तत्पश्चात अंतर लिखने में काफी मदद मिलेगी।

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रुधिर और लसिका में अंतर बताईये। Rudhir aur Lasika me antar

रुधिर किसे कहते हैं:-

रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है जिसमें प्लाज्मा, रक्त कोशिकाएं (RBC, WBC) और प्लेटलेट्स होते हैं। रक्त (खून) हमारे पूरे शरीर में घूमता है और विभिन्न कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाता है। यह हमारे शरीर के वजन का 8% हिस्सा बनाता है। एक औसत वयस्क व्यक्ति में लगभग 5-6 लीटर रक्त होता है।

रुधिर कोशिकावों के प्रकार

  • लाल रुधिर कोशिकाएँ,
  • श्वेत रुधिर कोशिकाएँ

रक्त के अवयव

  • प्लाज्मा (Plasma)
  • लाल रुधिर कोशिकाएं (Red Blood Cells)
  • श्वेत रुधिर कोशिकाएं (White Blood cells)
  • प्लेटलेट्स (Platelets)

रुधिर का कार्य (Working of blood)

  • रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है जो 55% प्लाज्मा और 45% गठित तत्वों से बना है जिसमें WBC, RBC और प्लेटलेट्स शामिल हैं।
  • रुधिर हमारे फेफड़ों से ऑक्सीजन को अवशोषित करता है और शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुंचाता है। अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में मिश्रित होकर फेफड़ों तकजाता है जो कि साँस के रूप में हम छोड़ते है।
  • रक्त हमारे शरीर के आंतरिक तापमान को बनाये रखने मदद करता है।
  • प्लेटलेट्स, घाव या चोट वाली जगह पर खून के थक्के जमने में मदद करते हैं।
  • प्लेटलेट्स फाइब्रिन के साथ घाव स्थल पर थक्का बनाते हैं।
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर में उत्पन्न बैक्टीरिया या संक्रमण से लड़ती हैं।
  • रक्त की मदद से ही शरीर में उत्पन्न नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट को बाहर करता है।

लसिका किसे कहते हैं :-

लसीका एक रंगहीन द्रव है जो पूरे लसीका तंत्र में घूमता है। लसीका तंत्र की मुख्य उद्देश्य रोगाणुओं, कार्बनिक अपशिष्टों, विषाक्त पदार्थों के विरुद्ध एक फिल्टर के रूप में कार्य करता है। यह मानव शरीर में लिम्फोसाइटों को प्रवाहित करता है जो कि संक्रमण से लड़ते हैं।

लसिका का कार्य (Working of Lymph)

लसिका तंत्र में प्रवाहित होने वाले लसिका द्रव का मुख्या कार्य होता है।

  • ऊतक कोशिकाओं से चयापचय अपशिष्ट को हटाता है।
  • लसिका में श्वेत कणिकाएँ तैरते रहते हैं जो कि रोगाणुवों से लड़ते रहते हैं।
  • ऊतक द्रव की संरचना व प्रवाह को बनाए रखता है तथा ऊतक द्रव को रुधिर प्रवाह में पुनः लता है।
  • फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम होने की वजह से यह थक्का बहुत कम बनाते हैं।
  • इसके द्वारा ही लिम्फोसाइट का निर्माण होता है।
रुधिर-और-लसिका-में-अंतर

रुधिर और लसीका में अंतर (Difference Between Blood And Lymph in Hindi)

रक्त और लसिका में अन्तर निम्नलिखित है।

रक्त या रुधिर (Blood)लसिका (Lymph)
1. रुधिर लाल रंग का तरल पदार्थ होता है। 1. लसिका रंगहीन द्रव होता है।
2. रक्त अर्थात रुधिर में लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) की मात्रा अधिक होती है। 2. लसीका में श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC) अधिक मात्रा में होती हैं।
3. रुधिर मानव शरीर के नसों में प्रवाहित होता है। 3. लसीका पुरे लसीका तंत्र में प्रवाहित होती है
4. रक्त में श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC) कम मात्रा में होती हैं। 4. जबकि लसिका में में लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) की मात्रा कम मात्रा में होती हैं।
5. रुधिर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन और पचे हुए भोजन को प्रवाहित करता है।5. लसिका कम ऑक्सीजन और पचे हुए भोजन को वहन करता है।
6. रुधिर या रक्त प्लाज्मा में प्रोटीन, कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं।6. लसिका में प्लाज्मा में प्रोटीन्स की मात्रा कम होती है।
7. रक्त में फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक होती है जिससे रक्त का थक्का तेजी से बनता है। 7. लसिका में फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम होती है जिससे थक्का बनने में समय लगता है।
8. मानव शरीर में रक्त का प्रवाह तेजी से होता है। 8. लसिका का प्रवाह रक्त के तुलना में कम होता है।

FAQ- रुधिर और लसिका से सम्बंधित प्रश्नोत्तर

1. लसीका में क्या पाया जाता है?

लसिका में श्वेत रक्त कणिकाएँ अधिक मात्रा में होती है जबकि लाल रक्त कणिकाएं कम मात्रा में होती है।

2. रुधिर के कितने भाग होते हैं?

रुधिर के प्रमुख दो भाग होते हैं। पहला द्रव भाग जिसे प्लाज्मा कहा जाता है जबकि दूसरा भाग ठोस होता है जिसे रुधिर कोशिकाएं कहते हैं।

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