Thermal effect of electric current notes in Hindi :- विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव अन्य नाम से भी जाना जाता है जैसे कि विद्युत धारा का तापीय प्रभाव या जूल का तापीय प्रभाव. इसी टॉपिक को इंग्लिश में Heating Effect of electric Current अथवा Thermal effect of electric current के नाम से भी जाना जाता है. विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव पर आधारित प्रश्न पूछे जाते है, जैसे कि इसका परिभाषा, अनुप्रयोग (उपयोग), उष्मीय या तापीय प्रभाव का कारण, संख्यात्मक प्रश्न (Numerical) जो कि जूल के तापीय प्रभाव के सूत्र पर आधारित होता है.
अतः इस पोस्ट में Vidyut Dhara ke tapiy prabhav से सम्बंधित प्रश्नों को साझा करने वाले है. इस दिए गए नोट्स की मदद से कक्षा 10 के विद्यार्थी गण को परिक्षावों में काफी मदद मिलेगा. अतः पोस्ट को अंत तक पढ़ें.
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Heating effect of Electric Current notes in Hindi class 10
किसी भी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर ऊष्मा कैसे उत्पन्न होती है तथा चालाक में व्यय उर्जा (ऊष्मा) की गणना कैसे करते हैं, यह सब जानने से पहले जरुरी है की कुछ मूल जानकारियों को जान ले. जैसे कि विद्युत उर्जा क्या है, तथा किसी भी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर व्यय उर्जा को किस सूत्र से निकालते हैं?
विद्युत ऊर्जा की परिभाषा | Definition
“किसी भी चालक में (Conductor) या विद्युत परिपथ में यूनिट विद्युत आवेश (मुक्त इलेक्ट्रान) को प्रवाहित करने के लिए जो कार्य किया जाता है या जो उर्जा की मात्रा व्यय होती है उसे विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) कहते हैं.”
माना कि एक विद्युत परिपथ है जिसमे की एक बैटरी या सेल लगा हुआ है. माना कि परिपथ में एक प्रतिरोध (बल्ब, पंखा) लगा है जिसके सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर V है. यदि बैटरी स्त्रोत से चालक के प्रति आवेश Q को प्रवाहित करने में प्रवाहित करने के लिए W कार्य किया जाता है तब विद्युत उर्जा कि गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा कर सकते हैं.
W = V x Q
चूँकि Q = I x t होता है, अतः W = V x I x t
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव का परिभाषा एवं सूत्र की गणना
विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव या तापीय प्रभाव किसे कहते है या परिभाषा:- ” जब किसी भी चालक के मुक्त इलेक्ट्रान किसी विद्युत स्त्रोत से ऊर्जा लेकर गति करता है तो मुक्त इलेक्ट्रान उस चालक के परमाणुवों से संघट्ट (टकराता) है, जिसके वजह से चालक का ताप बढ़ने लगता है. अर्थात मुक्त इलेक्ट्रान की गतिज उर्जा उष्मीय (तापीय) उर्जा में परिवर्तित हो जाता है, अतः ऊष्मा में परिवर्तन के प्रभाव को ही विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते हैं.”
यदि इसको और भी आसन या सरल भाषा में परिभाषित करना चाहते हैं तो निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं.
“किसी भी प्रतिरोध युक्त चालक में विद्युत धारा (या विद्युत आवेश) के प्रवाहित होने से विद्युत उर्जा को ऊष्मा उर्जा में परिवर्तन होने की घटना को ही विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं.”
चालक में उत्पन्न ऊष्मा या तापीय ऊर्जा की गणना
माना कि एक परिपथ है जिसमे कि एक बैटरी तथा एक प्रतिरोध R (बल्ब) लगा हुआ है जिसमे की विद्युत धारा (I) प्रवाहित हो रहा है. अतः चालक में विद्युत धारा (I) को लगातार प्रवाहित करने के लिए चालक के प्रत्येक विद्युत आवेश (Q) को ऊर्जा प्रधान करनी होगी. यदि V वोल्टेज की बैटरी द्वारा विद्युत आवेश (Q) को प्रवाहित करने में W कार्य किया जाता है तब, किया गया कार्य या विद्युत उर्जा
W = V x Q (समीकरण 1)
जैसा कि हम जानते हैं कि किसी भी विद्युत परिपथ में प्रवाहित धारा (I) का मान I = Q/t होता है अतः किया गया कार्य
W = V x I x t (समीकरण 2)
जैसा कि हम जानते है ओम के नियमानुसार V = IR होता है. अतः विभवान्तर V का मान ऊपर दिए गए समीकरण में रखने पर,
W = (IR) x I x t या
W = I2 R t (समीकरण 3)
ऊपर दिए गए विद्युत उर्जा (W) के समीकरण 3 में देख सकते है कि प्रतिरोध (R) में t समय में प्रवाहित धारा I है . चूँकि यह विद्युत उर्जा चालक के प्रतिरोध के कारण ऊष्मा उर्जा (H) में परिवर्तित हो जाता है, अतः विद्युत ऊर्जा W के स्थान पर हम ऊष्मा ऊर्जा (H) लिख सकते हैं. अतः चालक में विद्युत धारा के प्रवाहित होने से उत्पन्न उष्मीय या तापीय उर्जा का सूत्र,
H = W = I2 R t = (V2/R)t (समीकरण 4)
समीकरण 4 को जूल का नियम (Joul’s Law) या जूल का तापन नियम भी कहते हैं.
विद्युत प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा की निर्भरता
जैसा कि समीकरण 4 से स्पष्ट है की किसी भी विद्युत परिपथ में लगे प्रतिरोध में उत्पन्न ताप या ऊष्मा (H) निम्नलिखित मात्रावों पर निर्भर करता है.
- यह परिपथ में प्रवाहित धारा के वर्ग के समानुपाती होता है. H ∝ I2
- परिपथ में लगे प्रतिरोध के समानुपाती होता है. H ∝ R
- दिए हुए विद्युत धारा तथा प्रतिरोध के लिए समय के समानुपाती होता है. H ∝ t
विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव का अनुप्रयोग या उपयोग
Use of Thermal effect of electric current in hindi:- दैनिक जीवन में विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव का उपयोग या अनुप्रयोग कई स्थानों पर किया जाता है. तापीय प्रभाव का उदाहरण निम्नलिखित है.
उदाहरण | विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के उपयोग |
1. इलेक्ट्रिक हीटर या रूम हीटर | इलेक्ट्रिक हीटर के अंदर नाईक्रोम तार का कुंडलित संरचना होती है जिसका प्रतिरोध तथा गलनांक बहुत अधिक होता है. जब इस कुंडली में धारा प्रवाहित होती है तो विद्युत उर्जा ऊष्मा उर्जा में परिवर्तित हो जाता है. |
2. विद्युत बल्ब | प्रकाश बल्ब में टंगस्टन फिलामेंट लगा होता है तथा बल्ब के अन्दर निष्क्रिय (ऑर्गन) गैस भरी होती है. चूँकि फिलामेंट का प्रतिरोध अधिक होता है अतः विद्युत धारा प्रवाहित होने पर फिलामेंट प्रकश उत्सर्जन करता है. |
3. विद्युत इस्तरी | विद्युत इस्तरी भी जूल के तापन नियम पर कार्य करता है. इस्तरी के आतंरिक भाग में अभ्रक का एक चादर होता है जिसपर तापक तार (नाईक्रोम का बना हुआ) लगा हुआ होता है जो कि विद्युत उर्जा को उष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है. |
इसके अतिरिक्त और भी बहुत सारे उदहारण है जो कि विद्युत धारा के तापीय प्रभाव या जूल के तापन नियम पर कार्य करते हैं. जैसे कि इलेक्ट्रिक ओवन, निमंजन छड़, इलेक्ट्रिक गीजर इत्यादी.
मुख्य बातें
- विद्युत उर्जा को उष्मीय उर्जा में परिवर्तन करने के लिए प्रतिरोध युक्त तार मिश्र धातु के बने होते हैं. जैसे की नाईक्रोम (Ni +Cr + Mn + Fe), मैगनीन (Cu + Ni + Mn), कोंसटेंटन ( कॉपर + निकल) इत्यादी.
- इन तारों का प्रतिरोध ताप परिवर्तन के साथ बहुत कम परिवर्तन होता है.
- प्रतिरोध युक्त तारों का उच्च ताप पर दहन या उपचयन नहीं होता है.
- इनका गलनांक बहुत अधिक होता है ताकि उच्च ताप पर गले नहीं.
FAQs – तापीय या उष्मीय प्रभाव या जूल का तपन नियम
जो भी प्रतिरोध युक्त तार जूल के नियम के आधार पर कार्य करते हैं उनको जूल में मापते हैं. यदि उत्पन्न ऊष्मा को कैलरी में मापना है तो निम्न क्रिया को करना होगा.
उत्पन्न ऊष्मा H = I2Rt / 4.2 कैलरी
यदि किसी चालक में (जिसका प्रतिरोध R है) विद्युत धारा (I) समय (t) के लिए प्रवाहित हो रहा है तो उस प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा I2Rt होगा. इसे जूल का तापन नियम कहते हैं.
विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव पर आधारित उपकरण में उत्पन्न ऊष्मा चालक में प्रवाहित धारा, चालक के प्रतिरोध तथा समय (कितने समय के लिए धारा प्रवाहित पर निर्भर करता है.